सौर व चन्द्र मास, संवत, और कालगणना – सरल भाषा में संपूर्ण जानकारी
भारतीय समय-गणना (कालगणना) विश्व की सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक प्रणालियों में से एक मानी जाती है। इसमें समय को मापने के लिए सूर्य , चंद्रमा , और उनकी चाल से बनने वाले मास , संवत , और वर्षों का उपयोग होता है। इस लेख में आप जानेंगे— ✔ सौर मास क्या है? ✔ चन्द्र मास कैसे बनता है? ✔ दोनों का अंतर क्या है? ✔ संवत क्या होता है? ✔ कालगणना कैसे चलती है? 1. सौर मास (Solar Month) जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तब एक सौर मास पूरा होता है। आकाश को 12 राशियों में विभाजित किया गया है। सूर्य लगभग 30–31 दिन में एक राशि बदलता है। इसी अवधि को सौर मास कहा जाता है। 12 सौर मास (राशि आधारित): मेष वृष मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला वृश्चिक धनु मकर कुंभ मीन सौर मास की विशेषताएँ: यह मौसमों (ऋतुओं) के अनुरूप होता है। कृषि कार्य सौर मास के आधार पर अधिक सटीक माने जाते हैं। सूर्य-संक्रांति, मकर संक्रांति, मेष संक्रांति आदि सौर प्रणाली पर आधारित हैं। 2. चन्द्र मास (Lunar Month) चंद्रमा जब पृथ्वी के चारों ओर एक चक्र पूरा करता है, तो...