स्थानीय समय (LMT), भारतीय समय (IST), और सिदेरियल टाइम – ज्योतिष व खगोलशास्त्र में इनका महत्व

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 समय की गणना मानव जीवन का आधार है। लेकिन ज्योतिष, पंचांग निर्माण, ग्रह-स्थिति निर्धारण और जन्मकुंडली बनाने में सामान्य समय (Clock Time) पर्याप्त नहीं होता। इन कार्यों के लिए तीन विशेष प्रकार के समय अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं: स्थानीय सौर समय (Local Mean Time – LMT) भारतीय मानक समय (Indian Standard Time – IST) सिदेरियल टाइम (Sidereal Time) आइए इन तीनों को सरल भाषा में समझते हैं। ⭐ 1. स्थानीय सौर समय (LMT) – Local Mean Time क्या है? LMT वह समय है जो किसी स्थान के लॉन्गिट्यूड (देशांतर) के आधार पर सूर्य की स्थिति से गणना किया जाता है। अर्थात् हर शहर का अपना ‘सूर्य आधारित समय’ होता है। ✔ इसे क्यों उपयोग किया जाता है? जन्मकुंडली, मुहूर्त और खगोलीय गणनाओं में सबसे सटीक समय वही होता है जो जन्मस्थान के अनुसार हो , न कि घड़ी के अनुसार। ✔ उदाहरण: भारत का मानक समय मेरठ, दिल्ली या मुंबई के लिए समान है, लेकिन सूर्य का उदय-अस्त, दोपहर की स्थिति, छाया आदि हर शहर में अलग होती है। इसलिए LMT से ही जन्मस्थान का सटीक ‘सौर समय’ मिलता है। ✔ LMT की आवश्यकता: ज्योतिषीय गणनाओं ...

समय की इकाइयाँ – मुहूर्त, घटी, कला, संवत, आदि

 भारतीय समय-गणना विश्व की सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक प्रणालियों में से एक है। यहाँ समय को अत्यंत सूक्ष्म से लेकर विशाल इकाइयों में बाँटा गया है – पल, विपल, कला से लेकर संवत्सर, युग और कल्प तक। इस लेख में हम दैनिक जीवन, ज्योतिष और पंचांग में प्रयुक्त मुख्य इकाइयों को सरल भाषा में समझेंगे।




1. मुहूर्त (Muhūrta)

  • एक दिन में कुल 30 मुहूर्त होते हैं।

  • 1 मुहूर्त = 48 मिनट

  • सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक यह गणना की जाती है।

  • शुभ कार्यों, विवाह, यज्ञ, पूजा आदि में मुहूर्त का अत्यंत महत्व है।

उदाहरण:
ब्राह्म मुहूर्त = सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले का मुहूर्त, जो साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।


2. घटी (Ghaṭī)

यह भारतीय परंपरा की एक प्राचीन समय इकाई है।

  • 1 दिन = 60 घटी

  • 1 घटी = 24 मिनट (अर्थात् 1/60 दिन)

  • पाल वेल समयमापकों में इसका प्रयोग होता था।

उदाहरण:
2 घटी = 48 मिनट = ठीक 1 मुहूर्त।


3. पल और विपल

समय की और अधिक सूक्ष्म इकाइयाँ:

  • 1 घटी = 60 पल

  • 1 पल = 24 सेकंड

  • 1 पल = 60 विपल

  • 1 विपल = लगभग 0.4 सेकंड

यह दर्शाता है कि प्राचीन भारतीय समय-गणना कितनी सूक्ष्म थी।


4. कला (Kalā)

कला का प्रयोग खगोलीय और पंचांग गणनाओं में होता है।

  • 1 कला = 1/30 मुहूर्त

  • 1 कला = 1 मिनट 36 सेकंड (लगभग)

  • इसका उपयोग नक्षत्र, तिथि और चन्द्र मास की सूक्ष्म गणना में किया जाता है।


5. नाडी, विनाडी

ज्योतिष और प्राचीन घड़ियों में प्रचलित इकाइयाँ:

  • 1 नाड़ी = 24 मिनट (एक घटी)

  • 1 विनाडी = 24 सेकंड (एक पल)

  • दक्षिण भारत में आज भी "नाडी" शब्द का उपयोग समय मापने के लिए होता है।


6. संवत (Samvat)

संवत वर्षों की गणना की बड़ी इकाई है। भारत में तीन प्रमुख संवत प्रचलित हैं:

(1) विक्रम संवत

  • प्रारम्भ: 57 ईसा पूर्व

  • आज भारत के अनेक पंचांगों में यहीं से वर्ष गणना होती है।

(2) शक संवत

  • प्रारम्भ: 78 ईस्वी

  • भारत सरकार एवं पंचांग कार्यालय (GOI) का अधिकृत संवत।

(3) कलियुग संवत

  • प्रारम्भ: 3102 ईसा पूर्व

  • ग्रह-गोचर, दशा-संयोजन आदि की गणना में महत्वपूर्ण।


7. तिथि, पक्ष और मास

  • 1 तिथि = चन्द्रमा को 12° चलने का समय

  • एक चन्द्र मास में 30 तिथियाँ – 15 शुक्ल पक्ष + 15 कृष्ण पक्ष

  • चन्द्र मास (प्रत्यक्ष चन्द्र गति पर आधारित),

  • सौर मास (सूर्य की राशि पर आधारित) – दोनों के द्वारा पंचांग बनता है।


8. ऋतु, अयन और वर्ष

  • 6 ऋतुएँ: वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर

  • 2 अयन: उत्तरायण और दक्षिणायन

  • 1 संवत्सर = 1 वर्ष


9. बड़ी खगोलीय इकाइयाँ – युग, महायुग, कल्प

भारतीय खगोलशास्त्र समय को अत्यधिक विशाल स्तर पर भी मापता है:

  • 1 युग = चार भागों का समूह

    • सतयुग

    • त्रेतायुग

    • द्वापर

    • कलियुग

  • 1 महायुग = 43,20,000 वर्ष

  • 1 कल्प = 4.32 अरब वर्ष
    यह ब्रह्मा के एक दिन की अवधि मानी गई है।


निष्कर्ष

भारतीय समय गणना प्रणाली केवल दैनिक घड़ी देखने तक सीमित नहीं है। यह अत्यंत सूक्ष्म (विपल, पल, कला) से लेकर महाकाय (युग, कल्प) तक समय की अद्भुत श्रेणियाँ प्रस्तुत करती है। मुहूर्त, घटी, संवत और अन्य इकाइयाँ आज भी पंचांग, ज्योतिष, पूजा-विधि और त्योहारों की गणना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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