"शरीर के अंगों पर ग्रहों का प्रभाव" ज्योतिष शास्त्र का अत्यंत गूढ़ और व्यावहारिक भाग है।
प्राचीन ऋषियों ने बताया है कि मानव शरीर ही ब्रह्मांड का सूक्ष्म रूप (पिंड-ब्रह्मांड का संबंध) है।
जिस प्रकार नौ ग्रह आकाश में अपना प्रभाव डालते हैं, उसी प्रकार वे शरीर के अंगों, स्वभाव और स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।
नीचे विस्तार से समझिए 👇
🌞 1. सूर्य — आत्मा, हृदय और नेत्र
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अंग: हृदय, मस्तिष्क का दाहिना भाग, दाएँ नेत्र।
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गुण: तेज, ओज, आत्मबल, नेतृत्व।
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दोष: सूर्य के अशांत होने पर आँखों में कमजोरी, रक्तचाप, चिड़चिड़ापन, थकावट, या हृदय संबंधी रोग हो सकते हैं।
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उपाय: प्रातः सूर्य नमस्कार करें, तांबे के पात्र में जल अर्घ्य दें, पिता का सम्मान करें।
🌙 2. चंद्रमा — मन, रक्त और मस्तिष्क
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अंग: मस्तिष्क, बाएँ नेत्र, रक्त, स्त्राव प्रणाली।
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गुण: शीतलता, संवेदना, प्रेम, मातृत्व।
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दोष: चंद्रमा के अशांत होने पर मानसिक अस्थिरता, अनिद्रा, अवसाद, या रक्त-संबंधी रोग हो सकते हैं।
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उपाय: जल में चंद्र प्रतिबिंब देखकर अर्घ्य दें, माँ का आदर करें, मोती धारण करें (आवश्यकता अनुसार)।
🔥 3. मंगल — रक्त, मांसपेशियाँ और हड्डियाँ
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अंग: रक्त, अस्थियाँ, स्नायुतंत्र, मांसपेशियाँ।
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गुण: साहस, ऊर्जा, पराक्रम।
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दोष: क्रोध, दुर्घटना, रक्तस्राव, जलना या चोट लगना।
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उपाय: मंगलवार को हनुमान पूजा करें, दान करें, क्रोध पर संयम रखें।
🌿 4. बुध — त्वचा, तंत्रिका तंत्र और वाणी
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अंग: त्वचा, नाड़ी तंत्र, जीभ, कंधे, हाथ।
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गुण: बुद्धि, विवेक, संचार, चपलता।
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दोष: भ्रम, डर, बोलने में अटकन, नर्वस कमजोरी।
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उपाय: तुलसी सेवन करें, वाणी में मधुरता रखें, हरे वस्त्र धारण करें।
💛 5. गुरु (बृहस्पति) — यकृत, मोटापा और ज्ञानेंद्रियाँ
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अंग: यकृत (लीवर), जांघें, वसा ऊतक।
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गुण: ज्ञान, धर्म, विस्तार, आस्था।
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दोष: मोटापा, लीवर की गड़बड़ी, वायु-संबंधी रोग।
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उपाय: पीले वस्त्र पहनें, गुरुवार को व्रत रखें, गुरुजनों का आदर करें।
💎 6. शुक्र — जननांग, गुर्दे और सौंदर्य
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अंग: गुर्दे (किडनी), मूत्राशय, जननांग, त्वचा की चमक।
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गुण: प्रेम, आकर्षण, कला, विलासिता।
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दोष: त्वचा रोग, हार्मोन असंतुलन, प्रेम में असफलता।
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उपाय: सफेद वस्त्र धारण करें, सुगंध व स्वच्छता अपनाएँ, पत्नी या जीवनसाथी का सम्मान करें।
⚖️ 7. शनि — नसें, पांव, जोड़ों का दर्द
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अंग: टाँगें, घुटने, नाखून, हड्डियाँ, तंत्रिकाएँ।
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गुण: धैर्य, न्याय, श्रम, अनुशासन।
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दोष: गठिया, नसों का दर्द, आलस्य, थकावट।
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उपाय: कर्म में निष्ठा रखें, गरीबों की सहायता करें, शनिदेव का पूजन करें।
🐍 8. राहु — नसें, विष तंत्र, भ्रम
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अंग: नसें, फेफड़े, मानसिक भ्रम से जुड़े भाग।
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गुण: नवीनता, आविष्कार, विदेशी प्रभाव।
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दोष: लत, मानसिक भ्रम, श्वसन समस्या।
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उपाय: ध्यान करें, असत्य से दूर रहें, धूम्रपान जैसी आदतें छोड़ें।
🔮 9. केतु — मेरुदंड, तंत्रिकाएँ, अध्यात्म
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अंग: रीढ़ की हड्डी, नसें, पीठ का ऊपरी भाग।
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गुण: वैराग्य, ध्यान, अध्यात्म।
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दोष: पीठ दर्द, बेचैनी, ध्यान की कमी।
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उपाय: ध्यान, जप, और सेवा भावना अपनाएँ।
🕉️ निष्कर्ष
“शरीर ही ब्रह्मांड का प्रतिबिंब है।”
हर ग्रह हमारे भीतर एक ऊर्जा केंद्र के रूप में कार्य करता है।
जब हमारे कर्म, विचार और संबंध संतुलित रहते हैं — तब ग्रह भी अनुकूल और स्वास्थ्यदायी बन जाते हैं।
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