सूर्योदय–सूर्यास्त गणना (शुद्ध भारतीय दृक पद्धति)
(केवल भारतीय परंपरा के अनुसार लिखा गया लेख)
भारतीय ज्योतिष और धर्मशास्त्र में सूर्योदय और सूर्यास्त का समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पहले ही ऐसे सूत्र स्थापित कर दिए थे, जिनसे किसी भी स्थान के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का सटीक समय ज्ञात किया जा सके।
यह गणना दो परंपराओं पर आधारित है —
1. सिद्धान्त पद्धति
2. दृक पद्धति (शुद्ध भारतीय दृक)
यह दोनों पद्धतियाँ भारतीय खगोल परंपरा से ही निकली हैं।
1. भारतीय दृक पद्धति क्या करती है?
भारतीय दृक पद्धति में सूर्य की प्रत्यक्ष (दृष्ट) स्थिति से गणना की जाती है।
यह “दृक” — यानी जो आँखों से देखी जा सके — उसके आधार पर समय तय करती है।
इसमें मुख्यतः देखा जाता है:
-
सूर्य का क्षितिज पर उदयक्षण
-
सूर्य का क्षितिज पर अस्तक्षण
-
स्थान का अक्षांश–देशांतर
-
ऋतुओं के अनुसार सूर्य का उत्तरायण–दक्षिणायण
-
सूर्य की दैनिक प्रगति (सौरगति)
इससे सूर्योदय–सूर्यास्त का समय अत्यंत शुद्धता से प्राप्त होता है।
2. भारतीय परिभाषा: सूर्योदय क्या है?
भारतीय परंपरा में सूर्योदय वह क्षण है —
जब सूर्य का प्रथम तेज (किरण) पूर्व दिशा में क्षितिज को स्पर्श करे।
इसे उदयाक्षण कहा जाता है।
3. भारतीय परिभाषा: सूर्यास्त क्या है?
सूर्यास्त वह क्षण है —
जब सूर्य का अंतिम भाग (अस्तकिरण) क्षितिज से लुप्त हो जाए।
इसे अस्ताक्षण कहा जाता है।
4. भारतीय गणना का आधार — केवल भारतीय सूत्र
भारत में सूर्योदय-सूर्यास्त की गणना निम्न बिंदुओं से की जाती रही है:
✔ (1) देशांतर (Longitude)
पूर्व में समय अधिक, पश्चिम में कम — यह भारत में सिद्ध प्रचलन है।
✔ (2) अक्षांश (Latitude)
उत्तर-दक्षिण की दिशा में सूर्योदय-सूर्यास्त का समय बदलता है।
✔ (3) सूर्य का अयनचक्र (उत्तरायण–दक्षिणायण)
भारत में सूर्य के अयन को अत्यंत महत्व दिया गया है।
इसी से दिन और रात की लम्बाई बदलती है।
✔ (4) स्थानीय क्षितिज की स्थिति
वहीं से उदय और अस्त का वास्तविक क्षण निर्धारित होता है।
✔ (5) भारतीय सौर सिद्धान्त
प्राचीन ग्रंथों जैसे —
सूर्य सिद्धान्त, सिद्धान्त शिरोमणि, पंचांग-संहिता —
इनमें सूर्योदय-सूर्यास्त के प्रामाणिक सूत्र दिए हैं।
इन्हीं से आज भी भारतीय पंचांग गणना की जाती है।
5. क्यों यह गणना भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है?
-
संध्या-वंदन
-
अग्निहोत्र
-
जप-तप
-
व्रत आरंभ और समाप्ति
-
त्योहारों का निर्धारण
-
तिथि और नक्षत्र का प्रयोग
-
ब्रह्ममुहूर्त की पहचान
ये सभी चीजें सूर्योदय-सूर्यास्त से सीधे जुड़ी हुई हैं।
6. निष्कर्ष (भारतीय दृष्टि से)
भारतीय सूर्योदय-सूर्यास्त गणना कोई नई बात नहीं है —
यह हमारी परंपरा, शास्त्र और ऋषियों की बहुत पुरानी, स्थापित और प्रमाणित व्यवस्था है।
दृक पद्धति भी भारत की ही है, जिसका उद्देश्य है:
“सूर्य की प्रत्यक्ष स्थिति के आधार पर शुद्ध उदय-अस्त समय बताना।”
इसलिए इसे सर्वोत्तम माना जाता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें