लग्न (Ascendant) की गणना – जन्म समय व स्थान से
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⭐ लग्न (Ascendant) की गणना – जन्म समय व स्थान से
(How to Calculate Ascendant Using Birth Time & Location)
वैदिक ज्योतिष में जन्मपत्री का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र लग्न (Ascendant / Rising Sign) होता है। यही जन्म कुंडली का पहला भाव बनाता है और पूरे जीवन की दिशा–दशा तय करता है। लग्न यह बताता है कि जन्म के समय पूर्व क्षितिज पर कौन-सा राशि चिन्ह उदित था।
इस लेख में आप जानेंगे—
✔ लग्न क्या है
✔ लग्न कैसे बनता है
✔ इसे जन्म समय और जन्म स्थान से कैसे निकाला जाता है
✔ सरल तरीका + वैज्ञानिक आधार
🔶 लग्न (Ascendant) क्या होता है?
जन्म के सही समय पर पूर्व दिशा में जो भी राशि उदित (राइज) हो रही होती है, वही आपका लग्न कहलाता है।
इसे ऐसे समझें—
पृथ्वी घूमती रहती है, इसलिए हर 24 घंटे में 12 राशियाँ क्रम से पूर्व दिशा में आती और जाती हैं। इस कारण लग्न हर 2 घंटे में बदल जाता है।
📌 इसी वजह से सटीक जन्म समय बेहद आवश्यक होता है।
🔶 लग्न को प्रभावित करने वाले तीन मुख्य तत्व
1️⃣ जन्म की तिथि (Date of Birth)
यह बताती है कि सूर्य किस राशि में था और उस दिन ग्रहों की स्थिति कैसी थी।
2️⃣ जन्म का सटीक समय (Exact Birth Time)
लग्न लगभग 2 घंटे में बदलता है, इसलिए कुछ मिनटों का अंतर भी लग्न बदल सकता है।
3️⃣ जन्म का स्थान (Birth Place Latitude–Longitude)
पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर उदय होने वाली राशि का समय बदलता है।
इसलिए जन्मस्थान का देशांतर (Longitude) और अक्षांश (Latitude) बेहद महत्वपूर्ण होता है।
⭐ लग्न की गणना कैसे की जाती है? (Step-by-Step)
Step 1 — स्थानीय सौर समय (Local Sidereal Time) निकालना
जन्म समय को आपके जन्मस्थान के देशांतर के अनुसार ‘स्थानीय सौर समय’ में परिवर्तित किया जाता है।
क्योंकि सूर्य हर स्थान पर अलग-अलग समय में उगता/डूबता है।
Step 2 — राशि चक्र की स्थिति निर्धारित करना
स्थानीय समय के अनुसार यह देखा जाता है कि उस समय पूर्व दिशा में कौन-सी राशि उदित थी।
Step 3 — पृथ्वी के घूर्णन (Rotation) को जोड़ना
पृथ्वी लगातार घूम रही है—
इसलिए हर 4 मिनट में लगभग 1° राशि बदलती है।
Step 4 — अंतिम लग्न और उसके अंश निकालना
गणना के बाद यह पता चलता है कि
-
कौन-सी राशि लग्न में थी
-
कितने अंश पर थी
-
कौन सा नक्षत्र और चरण था
🔶 सरल शब्दों में लग्न निकालने का आसान तरीका
✔ अनुमानित समय नियम (Approx Rule)
हर राशि लगभग 2 घंटे तक लग्न रहती है:
| समय स्लॉट | सामान्यतः उदित लग्न |
|---|---|
| सुबह 6–8 | मेष/वृष |
| 8–10 | वृष/मिथुन |
| 10–12 | मिथुन/कर्क |
| 12–2 | कर्क/सिंह |
| 2–4 | सिंह/कन्या |
| 4–6 | कन्या/तुला |
| 6–8 | तुला/वृश्चिक |
| 8–10 | वृश्चिक/धनु |
| 10–12 रात | धनु/मकर |
| 12–2 रात | मकर/कुंभ |
| 2–4 | कुंभ/मीन |
| 4–6 | मीन/मेष |
⚠ लेकिन यह केवल अनुमान है।
अक्षांश–देशांतर के आधार पर यह समय बदल सकता है, इसलिए ऑनलाइन सॉफ़्टवेयर/पंचांग का उपयोग करना बेहतर है।
🔶 लग्न क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
लग्न व्यक्ति की—
-
शारीरिक बनावट
-
व्यक्तित्व
-
सोच, बुद्धि, व्यवहार
-
स्वास्थ्य
-
जीवन की दिशा
-
ग्रहों का शुभ–अशुभ प्रभाव
सब पर सीधा असर डालता है।
कुंडली में अन्य सभी भाव लग्न से ही तय होते हैं—
दूसरा भाव, तीसरा भाव… बारहवाँ भाव — सबका आधार लग्न है।
🔶 लग्न का ग्रहणीय प्रभाव
प्रत्येक राशि का एक स्वामी ग्रह होता है।
उदाहरण:
-
मेष लग्न → मंगल स्वामी
-
वृष लग्न → शुक्र स्वामी
-
कर्क लग्न → चंद्र स्वामी
ग्रह का स्वभाव सीधे व्यक्ति पर प्रतिबिंबित होता है।
⭐ निष्कर्ष
लग्न किसी भी व्यक्ति की कुंडली का “मुख्य द्वार” है।
इसे सटीक निकालने के लिए जन्म समय, तिथि और स्थान का सही होना बहुत ज़रूरी है।
यही कारण है कि अधिकतर ज्योतिष समाधान लग्न को ही आधार बनाकर बताए जाते हैं।
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