राशिचक्र – १२ राशियाँ, २७ नक्षत्र और ४ पाद | सम्पूर्ण ज्योतिषीय अध्ययन
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वैदिक ज्योतिष में समय, भाग्य, कर्मफल और जीवन की घटनाओं का सबसे महत्वपूर्ण आधार राशिचक्र (Zodiac) है। यही राशिचक्र ३६०° आकाश मंडल को अलग-अलग भागों में विभाजित करता है, जिनके आधार पर:
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जन्म कुंडली बनती है
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ग्रहों की स्थिति का फल मिलता है
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दशा–अन्तर्दशा का प्रभाव समझ आता है
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नक्षत्रों के गुण, पादों का व्यवहार और जीवन के परिणाम तय होते हैं
इसलिए राशिचक्र को समझना वैदिक ज्योतिष की पहली अनिवार्य सीढ़ी है।
🌟 राशिचक्र क्या है?
राशिचक्र (Zodiac Belt) आकाश में फैला ३६० डिग्री का गोलाकार पट्टा है, जिसमें सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हुए दिखाई देते हैं। यही मार्ग क्रांतिवृत्त (Ecliptic) कहलाता है।
✨ इसी 360° को विभाजित किया गया है:
-
१२ राशियों में
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२७ नक्षत्रों में
-
१०८ पादों में (प्रत्येक नक्षत्र = ४ पाद)
🌟 १२ राशियाँ – प्रत्येक ३०° का क्षेत्र
राशिचक्र के 360° को 12 बराबर भागों में बाँटा जाता है:
360° ÷ 12 = 30° प्रति राशि
नीचे १२ राशियों का क्रम, स्वभाव और मूल गुण दिए गए हैं:
| राशि | चिन्ह | स्वामी ग्रह | तत्व | प्रकृति |
|---|---|---|---|---|
| 1. मेष | ♈ | मंगल | अग्नि | चर |
| 2. वृषभ | ♉ | शुक्र | पृथ्वी | स्थिर |
| 3. मिथुन | ♊ | बुध | वायु | द्वि-स्वभाव |
| 4. कर्क | ♋ | चन्द्र | जल | चर |
| 5. सिंह | ♌ | सूर्य | अग्नि | स्थिर |
| 6. कन्या | ♍ | बुध | पृथ्वी | द्वि-स्वभाव |
| 7. तुला | ♎ | शुक्र | वायु | चर |
| 8. वृश्चिक | ♏ | मंगल | जल | स्थिर |
| 9. धनु | ♐ | गुरु | अग्नि | द्वि-स्वभाव |
| 10. मकर | ♑ | शनि | पृथ्वी | चर |
| 11. कुम्भ | ♒ | शनि | वायु | स्थिर |
| 12. मीन | ♓ | गुरु | जल | द्वि-स्वभाव |
इन राशियों का उपयोग जन्म कुंडली, गोचर, ग्रहों की स्थिति और व्यक्तित्व विश्लेषण में किया जाता है।
🌟 २७ नक्षत्र – १३° २०′ का क्षेत्र
राशिचक्र को आगे २७ नक्षत्रों में बाँटा गया है।
प्रत्येक नक्षत्र का क्षेत्र = 13° 20′ (13.333°)
नक्षत्र = “तारा समूह” — चन्द्र 27 दिनों में एक-एक नक्षत्र को पार करता है।
नीचे 27 नक्षत्रों की सूची उनके स्वामी ग्रह सहित:
| क्रम | नक्षत्र | स्वामी ग्रह |
|---|---|---|
| 1 | अश्विनी | केतु |
| 2 | भरणी | शुक्र |
| 3 | कृत्तिका | सूर्य |
| 4 | रोहिणी | चन्द्र |
| 5 | मृगशिरा | मंगल |
| 6 | आर्द्रा | राहु |
| 7 | पुनर्वसु | गुरु |
| 8 | पुष्य | शनि |
| 9 | आश्लेषा | बुध |
| 10 | मघा | केतु |
| 11 | पूर्वा फाल्गुनी | शुक्र |
| 12 | उत्तर फाल्गुनी | सूर्य |
| 13 | हस्त | चन्द्र |
| 14 | चित्रा | मंगल |
| 15 | स्वाती | राहु |
| 16 | विशाखा | गुरु |
| 17 | अनुराधा | शनि |
| 18 | ज्येष्ठा | बुध |
| 19 | मूल | केतु |
| 20 | पूर्वाषाढ़ा | शुक्र |
| 21 | उत्तराषाढ़ा | सूर्य |
| 22 | श्रवण | चन्द्र |
| 23 | धनिष्ठा | मंगल |
| 24 | शतभिषा | राहु |
| 25 | पूर्वाभाद्रपद | गुरु |
| 26 | उत्तराभाद्रपद | शनि |
| 27 | रेवती | बुध |
प्रत्येक नक्षत्र मनुष्य के व्यवहार, स्वभाव, स्वास्थ्य, विवाह, करियर और मानसिक प्रवृत्ति को गहराई से प्रभावित करता है।
🌟 ४ पाद – 3° 20′ का प्रत्येक भाग
हर नक्षत्र को आगे ४ पाद (quarters) में बाँटा जाता है।
नक्षत्र = 13° 20′
1 पाद = 13° 20′ / 4 = 3° 20′
✔ पाद को “चरन” या “पादांश” भी कहा जाता है।
✔ जन्म के समय चन्द्र जिस पाद में होता है, उसे लग्न, जातक धर्म, नामकरण (नाम का प्रथम अक्षर) और स्वभाव निर्धारित करने में उपयोग किया जाता है।
🌟 नक्षत्र पादों का ज्योतिषीय महत्व
प्रत्येक पाद एक अलग राशि से सम्बंधित होता है।
इसलिए एक ही नक्षत्र के चारों पाद चार अलग राशियों में पड़ सकते हैं।
उदाहरण:
अश्विनी नक्षत्र
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पाद 1 – मेष
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पाद 2 – मेष
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पाद 3 – मेष
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पाद 4 – मेष
कृत्तिका नक्षत्र
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पाद 1 – मेष
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पाद 2 – वृषभ
-
पाद 3 – वृषभ
-
पाद 4 – वृषभ
इससे व्यक्ति का:
-
नाम का अक्षर
-
गुण
-
प्रोफेशन
-
जीवन शैली
-
विश्वास प्रणाली
-
विवाह योग
सब निर्धारित होता है।
🌟 राशि, नक्षत्र और पाद का संबंध (बहुत महत्वपूर्ण चार्ट)
| राशि | नक्षत्र | पाद | कुल |
|---|---|---|---|
| मेष | अश्विनी, भरणी, कृत्तिका(1) | 4+4+1 | 9 |
| वृषभ | कृत्तिका(3), रोहिणी, मृगशिरा(2) | 3+4+2 | 9 |
| मिथुन | मृगशिरा(2), आर्द्रा, पुनर्वसु(1) | 2+4+1 | 7 |
| कर्क | पुनर्वसु(3), पुष्य, आश्लेषा | 3+4+4 | 11 |
| सिंह | मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी(1) | 4+4+1 | 9 |
| कन्या | उ. फाल्गुनी(3), हस्त, चित्रा(2) | 3+4+2 | 9 |
| तुला | चित्रा(2), स्वाती, विशाखा(2) | 2+4+2 | 8 |
| वृश्चिक | विशाखा(2), अनुराधा, ज्येष्ठा | 2+4+4 | 10 |
| धनु | मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा(1) | 4+4+1 | 9 |
| मकर | उ. षाढ़ा(3), श्रवण, धनिष्ठा(2) | 3+4+2 | 9 |
| कुम्भ | धनिष्ठा(2), शतभिषा, पूर्वाभाद्र(2) | 2+4+2 | 8 |
| मीन | पूर्वाभाद्र(2), उ. भाद्रपद, रेवती | 2+4+4 | 10 |
| … | … | … |
🌟 १२ राशियाँ – २७ नक्षत्र – १०८ पाद का पूरा चार्ट
(प्रत्येक राशि ३०°, प्रत्येक नक्षत्र १३°२०′, प्रत्येक पाद ३°२०′)
1️⃣ मेष (Aries) – 0° से 30°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 1. अश्विनी | 1–4 | 4 |
| 2. भरणी | 1–4 | 4 |
| 3. कृत्तिका | पाद 1 | 1 |
| योग | 9 |
2️⃣ वृषभ (Taurus) – 30° से 60°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 3. कृत्तिका | पाद 2–4 | 3 |
| 4. रोहिणी | 1–4 | 4 |
| 5. मृगशिरा | पाद 1–2 | 2 |
| योग | 9 |
3️⃣ मिथुन (Gemini) – 60° से 90°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 5. मृगशिरा | पाद 3–4 | 2 |
| 6. आर्द्रा | 1–4 | 4 |
| 7. पुनर्वसु | पाद 1 | 1 |
| योग | 7 |
4️⃣ कर्क (Cancer) – 90° से 120°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 7. पुनर्वसु | पाद 2–4 | 3 |
| 8. पुष्य | 1–4 | 4 |
| 9. आश्लेषा | 1–4 | 4 |
| योग | 11 |
5️⃣ सिंह (Leo) – 120° से 150°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 10. मघा | 1–4 | 4 |
| 11. पूर्वा फाल्गुनी | 1–4 | 4 |
| 12. उत्तर फाल्गुनी | पाद 1 | 1 |
| योग | 9 |
6️⃣ कन्या (Virgo) – 150° से 180°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 12. उत्तर फाल्गुनी | पाद 2–4 | 3 |
| 13. हस्त | 1–4 | 4 |
| 14. चित्रा | पाद 1–2 | 2 |
| योग | 9 |
7️⃣ तुला (Libra) – 180° से 210°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 14. चित्रा | पाद 3–4 | 2 |
| 15. स्वाती | 1–4 | 4 |
| 16. विशाखा | पाद 1–2 | 2 |
| योग | 8 |
8️⃣ वृश्चिक (Scorpio) – 210° से 240°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 16. विशाखा | पाद 3–4 | 2 |
| 17. अनुराधा | 1–4 | 4 |
| 18. ज्येष्ठा | 1–4 | 4 |
| योग | 10 |
9️⃣ धनु (Sagittarius) – 240° से 270°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 19. मूल | 1–4 | 4 |
| 20. पूर्वाषाढ़ा | 1–4 | 4 |
| 21. उत्तराषाढ़ा | पाद 1 | 1 |
| योग | 9 |
🔟 मकर (Capricorn) – 270° से 300°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 21. उत्तराषाढ़ा | पाद 2–4 | 3 |
| 22. श्रवण | 1–4 | 4 |
| 23. धनिष्ठा | पाद 1–2 | 2 |
| योग | 9 |
1️⃣1️⃣ कुम्भ (Aquarius) – 300° से 330°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 23. धनिष्ठा | पाद 3–4 | 2 |
| 24. शतभिषा | 1–4 | 4 |
| 25. पूर्वाभाद्रपद | पाद 1–2 | 2 |
| योग | 8 |
1️⃣2️⃣ मीन (Pisces) – 330° से 360°
| नक्षत्र | पाद | कुल पाद |
|---|---|---|
| 25. पूर्वाभाद्रपद | पाद 3–4 | 2 |
| 26. उत्तराभाद्रपद | 1–4 | 4 |
| 27. रेवती | 1–4 | 4 |
| योग | 10 |
🌟 राशिचक्र काम कैसे करता है?
जन्म के समय:
-
चन्द्र = आपका जन्म नक्षत्र
-
चन्द्र पाद = आपका नाम अक्षर
-
चन्द्र राशि = आपकी राशि
-
सूर्य राशि = व्यक्तित्व का बाहरी रूप
-
लग्न = जीवन का सम्पूर्ण ढाँचा
ग्रह जिस राशि और नक्षत्र में बैठते हैं, उसी आधार पर फल मिलता है।
ग्रह → नक्षत्र → पाद = सबसे सूक्ष्म और सटीक ज्योतिषीय विश्लेषण
🌟 राशि–नक्षत्र–पाद का महत्त्व क्यों?
✔ यही आपकी मनःस्थिति बताते हैं
✔ आपका स्वभाव, क्रोध, दया, संस्कार
✔ कौन-सा कार्य आपके लिए शुभ है
✔ विवाह, संतान, नौकरी, भाग्य के योग
✔ दशा–अन्तर्दशा के सटीक फल
✔ भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी
वैदिक ज्योतिष में फल का 70% नक्षत्र और पाद से निकाला जाता है।
🌟 निष्कर्ष
-
राशिचक्र = 360°
-
१२ राशियाँ = ३०° each
-
२७ नक्षत्र = १३° २०′ each
-
४ पाद = ३° २०′ each
-
ग्रह इन सभी में गतिशील रहते हैं
-
फल इनसे मिलकर बनता है
इस प्रकार राशिचक्र जीवन का “कॉस्मिक ब्लूप्रिंट” है —
जो जन्म से मृत्यु तक घटनाओं को प्रभावित करता है।
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