तिथि – गणना, भद्रा, शुभ-अशुभ तिथियाँ

 भारतीय पंचांग केवल तिथियों का कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह समय की सूक्ष्म, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक व्यवस्था है। शुभ कार्यों के मुहूर्त से लेकर व्रत, पर्व और संस्कार—सब कुछ तिथि पर आधारित होता है। इस लेख में हम तिथि की गणना , भद्रा का स्वरूप , और शुभ–अशुभ तिथियों को सरल और व्यवस्थित रूप में समझेंगे। 1. तिथि क्या है? तिथि चंद्रमा और सूर्य के आपसी कोणीय अंतर (Angular Distance) पर आधारित होती है। जब चंद्रमा और सूर्य के बीच का कोण 12° बढ़ता है, तब 1 तिथि पूरी मानी जाती है। एक चंद्र मास में कुल 30 तिथियाँ होती हैं। तिथियों के दो पक्ष होते हैं: शुक्ल पक्ष – अमावस्या के बाद से पूर्णिमा तक (15 तिथियाँ) कृष्ण पक्ष – पूर्णिमा के बाद से अमावस्या तक (15 तिथियाँ) 2. तिथि की गणना कैसे होती है? तिथि की गणना पूर्णतः खगोलीय (Astronomical) आधार पर होती है: सूत्रात्मक रूप में : (चंद्रमा की दीर्घांश − सूर्य की दीर्घांश) ÷ 12 = तिथि क्रम महत्वपूर्ण बिंदु: एक तिथि 24 घंटे की निश्चित नहीं होती। कभी तिथि क्षय (छूट) हो जाती है। कभी तिथि वृद्धि (दो सूर्योदय तक एक ही तिथि) हो जाती है। इसी कारण व्रत–पर्...

राशिचक्र – १२ राशियाँ, २७ नक्षत्र और ४ पाद | सम्पूर्ण ज्योतिषीय अध्ययन

वैदिक ज्योतिष में समय, भाग्य, कर्मफल और जीवन की घटनाओं का सबसे महत्वपूर्ण आधार राशिचक्र (Zodiac) है। यही राशिचक्र ३६०° आकाश मंडल को अलग-अलग भागों में विभाजित करता है, जिनके आधार पर:

  • जन्म कुंडली बनती है

  • ग्रहों की स्थिति का फल मिलता है

  • दशा–अन्तर्दशा का प्रभाव समझ आता है

  • नक्षत्रों के गुण, पादों का व्यवहार और जीवन के परिणाम तय होते हैं

इसलिए राशिचक्र को समझना वैदिक ज्योतिष की पहली अनिवार्य सीढ़ी है।




🌟 राशिचक्र क्या है?

राशिचक्र (Zodiac Belt) आकाश में फैला ३६० डिग्री का गोलाकार पट्टा है, जिसमें सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हुए दिखाई देते हैं। यही मार्ग क्रांतिवृत्त (Ecliptic) कहलाता है।

✨ इसी 360° को विभाजित किया गया है:

  • १२ राशियों में

  • २७ नक्षत्रों में

  • १०८ पादों में (प्रत्येक नक्षत्र = ४ पाद)


🌟 १२ राशियाँ – प्रत्येक ३०° का क्षेत्र

राशिचक्र के 360° को 12 बराबर भागों में बाँटा जाता है:
360° ÷ 12 = 30° प्रति राशि

नीचे १२ राशियों का क्रम, स्वभाव और मूल गुण दिए गए हैं:

राशिचिन्हस्वामी ग्रहतत्वप्रकृति
1. मेषमंगलअग्निचर
2. वृषभशुक्रपृथ्वीस्थिर
3. मिथुनबुधवायुद्वि-स्वभाव
4. कर्कचन्द्रजलचर
5. सिंहसूर्यअग्निस्थिर
6. कन्याबुधपृथ्वीद्वि-स्वभाव
7. तुलाशुक्रवायुचर
8. वृश्चिकमंगलजलस्थिर
9. धनुगुरुअग्निद्वि-स्वभाव
10. मकरशनिपृथ्वीचर
11. कुम्भशनिवायुस्थिर
12. मीनगुरुजलद्वि-स्वभाव

इन राशियों का उपयोग जन्म कुंडली, गोचर, ग्रहों की स्थिति और व्यक्तित्व विश्लेषण में किया जाता है।


🌟 २७ नक्षत्र – १३° २०′ का क्षेत्र

राशिचक्र को आगे २७ नक्षत्रों में बाँटा गया है।
प्रत्येक नक्षत्र का क्षेत्र = 13° 20′ (13.333°)

नक्षत्र = “तारा समूह” — चन्द्र 27 दिनों में एक-एक नक्षत्र को पार करता है।

नीचे 27 नक्षत्रों की सूची उनके स्वामी ग्रह सहित:

क्रमनक्षत्रस्वामी ग्रह
1अश्विनीकेतु
2भरणीशुक्र
3कृत्तिकासूर्य
4रोहिणीचन्द्र
5मृगशिरामंगल
6आर्द्राराहु
7पुनर्वसुगुरु
8पुष्यशनि
9आश्लेषाबुध
10मघाकेतु
11पूर्वा फाल्गुनीशुक्र
12उत्तर फाल्गुनीसूर्य
13हस्तचन्द्र
14चित्रामंगल
15स्वातीराहु
16विशाखागुरु
17अनुराधाशनि
18ज्येष्ठाबुध
19मूलकेतु
20पूर्वाषाढ़ाशुक्र
21उत्तराषाढ़ासूर्य
22श्रवणचन्द्र
23धनिष्ठामंगल
24शतभिषाराहु
25पूर्वाभाद्रपदगुरु
26उत्तराभाद्रपदशनि
27रेवतीबुध

प्रत्येक नक्षत्र मनुष्य के व्यवहार, स्वभाव, स्वास्थ्य, विवाह, करियर और मानसिक प्रवृत्ति को गहराई से प्रभावित करता है।


🌟 ४ पाद – 3° 20′ का प्रत्येक भाग

हर नक्षत्र को आगे ४ पाद (quarters) में बाँटा जाता है।

नक्षत्र = 13° 20′
1 पाद = 13° 20′ / 4 = 3° 20′

✔ पाद को “चरन” या “पादांश” भी कहा जाता है।
✔ जन्म के समय चन्द्र जिस पाद में होता है, उसे लग्न, जातक धर्म, नामकरण (नाम का प्रथम अक्षर) और स्वभाव निर्धारित करने में उपयोग किया जाता है।


🌟 नक्षत्र पादों का ज्योतिषीय महत्व

प्रत्येक पाद एक अलग राशि से सम्बंधित होता है।
इसलिए एक ही नक्षत्र के चारों पाद चार अलग राशियों में पड़ सकते हैं।

उदाहरण:

अश्विनी नक्षत्र

  • पाद 1 – मेष

  • पाद 2 – मेष

  • पाद 3 – मेष

  • पाद 4 – मेष

कृत्तिका नक्षत्र

  • पाद 1 – मेष

  • पाद 2 – वृषभ

  • पाद 3 – वृषभ

  • पाद 4 – वृषभ

इससे व्यक्ति का:

  • नाम का अक्षर

  • गुण

  • प्रोफेशन

  • जीवन शैली

  • विश्वास प्रणाली

  • विवाह योग

सब निर्धारित होता है।


🌟 राशि, नक्षत्र और पाद का संबंध (बहुत महत्वपूर्ण चार्ट)

राशि नक्षत्र पाद कुल
मेष अश्विनी, भरणी, कृत्तिका(1) 4+4+1 9
वृषभ कृत्तिका(3), रोहिणी, मृगशिरा(2) 3+4+2 9
मिथुन मृगशिरा(2), आर्द्रा, पुनर्वसु(1) 2+4+1 7
कर्क पुनर्वसु(3), पुष्य, आश्लेषा 3+4+4 11
सिंह मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी(1) 4+4+1 9
कन्या उ. फाल्गुनी(3), हस्त, चित्रा(2) 3+4+2 9
तुला चित्रा(2), स्वाती, विशाखा(2) 2+4+2 8
वृश्चिक विशाखा(2), अनुराधा, ज्येष्ठा 2+4+4 10
धनु मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा(1) 4+4+1 9
मकर उ. षाढ़ा(3), श्रवण, धनिष्ठा(2) 3+4+2 9
कुम्भ धनिष्ठा(2), शतभिषा, पूर्वाभाद्र(2) 2+4+2 8
मीन पूर्वाभाद्र(2), उ. भाद्रपद, रेवती 2+4+4 10

🌟 १२ राशियाँ – २७ नक्षत्र – १०८ पाद का पूरा चार्ट

(प्रत्येक राशि ३०°, प्रत्येक नक्षत्र १३°२०′, प्रत्येक पाद ३°२०′)


1️⃣ मेष (Aries) – 0° से 30°

नक्षत्रपादकुल पाद
1. अश्विनी1–44
2. भरणी1–44
3. कृत्तिकापाद 11
योग9

2️⃣ वृषभ (Taurus) – 30° से 60°

नक्षत्रपादकुल पाद
3. कृत्तिकापाद 2–43
4. रोहिणी1–44
5. मृगशिरापाद 1–22
योग9

3️⃣ मिथुन (Gemini) – 60° से 90°

नक्षत्रपादकुल पाद
5. मृगशिरापाद 3–42
6. आर्द्रा1–44
7. पुनर्वसुपाद 11
योग7

4️⃣ कर्क (Cancer) – 90° से 120°

नक्षत्रपादकुल पाद
7. पुनर्वसुपाद 2–43
8. पुष्य1–44
9. आश्लेषा1–44
योग11

5️⃣ सिंह (Leo) – 120° से 150°

नक्षत्रपादकुल पाद
10. मघा1–44
11. पूर्वा फाल्गुनी1–44
12. उत्तर फाल्गुनीपाद 11
योग9

6️⃣ कन्या (Virgo) – 150° से 180°

नक्षत्रपादकुल पाद
12. उत्तर फाल्गुनीपाद 2–43
13. हस्त1–44
14. चित्रापाद 1–22
योग9

7️⃣ तुला (Libra) – 180° से 210°

नक्षत्रपादकुल पाद
14. चित्रापाद 3–42
15. स्वाती1–44
16. विशाखापाद 1–22
योग8

8️⃣ वृश्चिक (Scorpio) – 210° से 240°

नक्षत्रपादकुल पाद
16. विशाखापाद 3–42
17. अनुराधा1–44
18. ज्येष्ठा1–44
योग10

9️⃣ धनु (Sagittarius) – 240° से 270°

नक्षत्रपादकुल पाद
19. मूल1–44
20. पूर्वाषाढ़ा1–44
21. उत्तराषाढ़ापाद 11
योग9

🔟 मकर (Capricorn) – 270° से 300°

नक्षत्रपादकुल पाद
21. उत्तराषाढ़ापाद 2–43
22. श्रवण1–44
23. धनिष्ठापाद 1–22
योग9

1️⃣1️⃣ कुम्भ (Aquarius) – 300° से 330°

नक्षत्रपादकुल पाद
23. धनिष्ठापाद 3–42
24. शतभिषा1–44
25. पूर्वाभाद्रपदपाद 1–22
योग8

1️⃣2️⃣ मीन (Pisces) – 330° से 360°

नक्षत्रपादकुल पाद
25. पूर्वाभाद्रपदपाद 3–42
26. उत्तराभाद्रपद1–44
27. रेवती1–44
योग10

🌟 राशिचक्र काम कैसे करता है?

जन्म के समय:

  • चन्द्र = आपका जन्म नक्षत्र

  • चन्द्र पाद = आपका नाम अक्षर

  • चन्द्र राशि = आपकी राशि

  • सूर्य राशि = व्यक्तित्व का बाहरी रूप

  • लग्न = जीवन का सम्पूर्ण ढाँचा

ग्रह जिस राशि और नक्षत्र में बैठते हैं, उसी आधार पर फल मिलता है।

ग्रह → नक्षत्र → पाद = सबसे सूक्ष्म और सटीक ज्योतिषीय विश्लेषण


🌟 राशि–नक्षत्र–पाद का महत्त्व क्यों?

✔ यही आपकी मनःस्थिति बताते हैं
✔ आपका स्वभाव, क्रोध, दया, संस्कार
✔ कौन-सा कार्य आपके लिए शुभ है
✔ विवाह, संतान, नौकरी, भाग्य के योग
✔ दशा–अन्तर्दशा के सटीक फल
✔ भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी

वैदिक ज्योतिष में फल का 70% नक्षत्र और पाद से निकाला जाता है।


🌟 निष्कर्ष

  • राशिचक्र = 360°

  • १२ राशियाँ = ३०° each

  • २७ नक्षत्र = १३° २०′ each

  • ४ पाद = ३° २०′ each

  • ग्रह इन सभी में गतिशील रहते हैं

  • फल इनसे मिलकर बनता है

इस प्रकार राशिचक्र जीवन का “कॉस्मिक ब्लूप्रिंट” है —
जो जन्म से मृत्यु तक घटनाओं को प्रभावित करता है।

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